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कथाये

हनुमान चालीसा की रचना कैसे हुई..??

हनुमान चालीसा की रचना के पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी है जिसकी जानकारी शायद ही किसी को हो। आइये जानते हैं हनुमान चालीसा की रचना कैसे हुई..?? ...

हनुमान चालीसा या हनुमान कथा से कौन-कौन से दुर्गुण दूर होते है..??

सबसे पहले दुर्गुण में आता है – अभिमान..!! हनुमान कथा सुनने से अभिमान का नाश हो जाता है ख़त्म हो जाता है..!! ...

हनुमान शब्द का वास्तविक अर्थ

श्री हनुमान जी महराज के चरण कमलो का ध्यान करिये क्युकी हनुमत तत्व समझ में तभी आएगा जब आपके ह्रदय में हनुमा जी महाराज विराजमान होंगे..!! ...

अपने मन को निर्मल करने के लिए क्या करें..??

सर्वप्रथम मन को जानने की कोशिश करनी होगी. हम अपनी जानी हुई बुराई ना करे, और की हुई भूल दोहराए नहीं। दूसरे के दोष देखने में अपना ज़रा सा भी अधिकार ना माने। ...

श्री हनुमान कथा – पंचम दिवस

हनुमान स्तुति मंत्र : – अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् | सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि || अर्थ : – अतुल बल के धाम , सोने के पर्वत के समान ...

श्री हनुमान कथा – चतुर्थ दिवस

महाबली हनुमान के संकटहारी मंत्र पहला मंत्र- ॐ तेजसे नम: || दूसरा मंत्र- ॐ प्रसन्नात्मने नम: || तीसरा मंत्र- ॐ शूराय नम: || चौथा मंत्र- ॐ शान्ताय नम: || पांचवां मंत्र- ॐ मारुतात्मजाय नमः || ...

श्री हनुमान कथा – तृतीय दिवस

भूत पिसाच निकट नहीं आवे। महाबीर जब नाम सुनावे -: भय पर काबू पाने के लिए या बुरी शक्तियों को अपने से दूर रखने के लिए आपको इन पंक्तियों को सुबह 108 बार जप करना चाहिए। ...

श्री हनुमान कथा – द्वितीय दिवस

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीश तिहु लोक उजागर ॥ रामदूत अतुलित बलधामा, अञ्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ महावीर विक्रम बजरङ्गी, कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥ कञ्चन वरण विराज सुवेशा, कानन कुण्डल कुञ्चित ...

श्री हनुमान कथा – षष्टम दिवस

मृत्यु के देवता यम, हनुमान से डरते थे, हनुमान जी राम के महल के दरवाजे की रक्षा करते थे और स्पष्ट था कि कोई भी राम को उनसे दूर नहीं ले जा सकता है। यम को प्रवेश करवाने के लिए हनुमान का मन भटकाना ज़रूरी ...

श्रीराम जी का सबसे बड़ा भाग्यशाली भक्त कौन है..??

‘जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।’ अपनी आवश्यकतानुसार मंत्र चुनकर हनुमानजी का पूजन कर घी, तिल, जौ, गुग्गल, लोभान, पंचमेवा, मिश्री मिलाकर यथाशक्ति जप कर बाद में हवन में 108 आहु‍ति ...